राम मंदिर संघर्ष की कहानी! ⋮ 695 मूवी रिव्यू

695 की एक नयी मूवी रिलीज हुई है, जिसमें हिंदुओं का 500 साल का राम जन्मभूमि के लिए स्ट्रगल दिखाया है। मेरे यहाँ पर सिंगल स्क्रीन है और वहाँ पर इस मूवी को ज्यादा प्रेफरन्स मिली क्योंकि अगर तुम्हे नहीं पता तो इस फ्राइडे को दो मूवी रिलीज हुई है। एक पंकज त्रिपाठी की। मैं अटल हूँ और दूसरी ये 695। सबसे पहले तो लोगों के मन में यही चीज़ आ रही है कि इस मूवी का नाम 695 क्यों है तो सिक्स नाइन और फाइव।

मूवी का नाम 695 क्यों है ?

ये तीन नंबर राम मंदिर के निर्माण और हिंदुओं के लक्ष्य की पूर्ति को दर्शाते हैं। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी स्ट्रक्चर को डेमोलिश किया गया था। नाइन्थ नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट का वर्डिक्ट आया था। राम मंदिर बनने के फेवर में और 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस भूमि पर पहली शिला रखी थी और उसके बाद से ही मंदिर का निर्माण शुरू हुआ था और इसी वजह से इस मूवी का नाम 695 है, जो की बेसिकली डेट्स है।

मूवी की शुरुआत कुछ एआइ जनरेटेड इमेज से होती है, जिसमें जब ओरिजिनल राम मंदिर हुआ करता था, उसके कुछ सीन्स दिखाए हैं। दिखाया जाता है की किस तरह से पहले उस भूमि पर खुशहाली थी, लोग दिए जलाया करते थे और पूजा प्रार्थना भी करते थे। मगर जब बाबर ने भारत पर हमला किया तो उसने राम मंदिर को डिस्ट्रॉय करके वहाँ पर बाबरी मस्जिद बना दी और दिखाया जाता है की उस इन्सिडन्ट के बाद न्यू ने कितने ज्यादा चैलेंजेस फेस किये। अपने ही मंदिरों और धार्मिक स्थलों को बचाने के लिए मूवी की कास्ट की बात करें तो इसमें काफी ज्यादा बेटर ऐक्टरस हैं। जैसे की अरुण गोविल, अशोक समर्थ, मनोज जोशी, मुकेश तिवारी और गोविंद नामदेव और इस रामजन्मभूमि स्ट्रगल में जीतने भी रियल लाइफ कैरेक्टर्स थे।

वो भी इस मूवी में है जैसे कि लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी, नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ ऐल्टो। कई जगह पता चल जाता है कि बाद में किसी मिमिक्री आर्टिस्ट से डाइलॉग बुलवाकर लिप्सिंग करने की कोशिश की है। लेकिन इस मूवी की जो रही है वो लोगों का संघर्ष, वीरता, साहस और बलिदान दिखाने की रही है। वो भी सही तरीके से है। इस मूवी का एक डायलॉग है जो कि दिल को छू जाता है। वो ये है की 800 सालों तक भारत की भूमि पर हमले हुए। हिंदुओं को प्रताड़ित किया गया और कुछ को कन्वर्ट भी है। हिंदुओं को हिंदू बनाए रखने वाला कोई भी नहीं था, सिर्फ लोगों की आस्था थी, जिसकी वजह से ये धर्म सांस लेता रहा और है।

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